Gazal - kya karu by kaleem Raza

ग़ज़ल - क्या  करू मै 

Gazal - kya karu by kaleem Raza


तुम कहो तो अश्क आंखो से गिराऊं क्या
बैठकर मै पास हाले दिल सुनाऊं क्या करू


आग जो तुमने लगाई थी अभी तक जल रही
जलने दूं इसको बता मै या बुझाऊं क्या करू


आज भी रखा है मैंने जो दिया था तूने खत
कुछ समझ आता नहीं इसको जलाऊ क्या करू


जिंदगी में खूबसूरत दिन गुजारे है उन्हे
याद रखूं लम्हे वो या भूल जाऊ क्या करू


काम आएंगी दवाएं इसको ना मेरे कलीम
है मरीज़ ए इश्क ये क्या खिलाऊ क्या करू


                                                  - कलीम रज़ा
                                                  बछरावां रायबरेली यूपी

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