kavita vyavstha samrthak baniye by jitendra kabir

June 04, 2021 ・0 comments

 व्यवस्था समर्थक बनिए

kavita vyavstha samrthak baniye by jitendra kabir


व्यवस्था पर कोई भी आरोप

लगाने से पहले

सौ बार सोच लीजिए

( चाहे वो सही क्यों ना हों )

क्योंकि आपके लगाए

हर आरोप का प्रत्यारोप

अब आपका देशद्रोही होना है।


व्यवस्था पर कोई भी सवाल

उठाने से पहले

सौ बार सोच लीजिए

( चाहे वो जायज ही क्यों ना हो )

क्योंकि आपके उठाए

हर सवाल का जवाब

अब आपकी देशभक्ति पर संदेह है।


व्यवस्था को कोई भी नसीहत

देने से पहले

सौ बार सोच लीजिए

( चाहे वो जरूरी ही क्यों ना हो )

क्योंकि आपकी दी गई

हर नसीहत का प्रतिकार

अब आपकी बुद्धिमत्ता पर प्रश्न है।


व्यवस्था से कोई भी उम्मीद

लगाने से पहले

सौ बार सोच लीजिए

( चाहे वो आपकी मजबूरी ही क्यों ना हो )

क्योंकि आपकी लगाई

हर उम्मीद का परिणाम

अब आपका हताश-निराश होना है।


व्यवस्था की नजर में रहना है

तो उसके सही-गलत निर्णयों का

अंधा होकर प्रचार करिए

( चाहे वो झूठा ही क्यों ना हो )

क्योंकि आपके किए

हर प्रचार का ईनाम

अब आपका महान देशभक्त होना है।


                              जितेन्द्र 'कबीर'

साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'

संप्रति - अध्यापक

पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश 


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