kavita vyavstha samrthak baniye by jitendra kabir
व्यवस्था समर्थक बनिए
व्यवस्था पर कोई भी आरोप
लगाने से पहले
सौ बार सोच लीजिए
( चाहे वो सही क्यों ना हों )
क्योंकि आपके लगाए
हर आरोप का प्रत्यारोप
अब आपका देशद्रोही होना है।
व्यवस्था पर कोई भी सवाल
उठाने से पहले
सौ बार सोच लीजिए
( चाहे वो जायज ही क्यों ना हो )
क्योंकि आपके उठाए
हर सवाल का जवाब
अब आपकी देशभक्ति पर संदेह है।
व्यवस्था को कोई भी नसीहत
देने से पहले
सौ बार सोच लीजिए
( चाहे वो जरूरी ही क्यों ना हो )
क्योंकि आपकी दी गई
हर नसीहत का प्रतिकार
अब आपकी बुद्धिमत्ता पर प्रश्न है।
व्यवस्था से कोई भी उम्मीद
लगाने से पहले
सौ बार सोच लीजिए
( चाहे वो आपकी मजबूरी ही क्यों ना हो )
क्योंकि आपकी लगाई
हर उम्मीद का परिणाम
अब आपका हताश-निराश होना है।
व्यवस्था की नजर में रहना है
तो उसके सही-गलत निर्णयों का
अंधा होकर प्रचार करिए
( चाहे वो झूठा ही क्यों ना हो )
क्योंकि आपके किए
हर प्रचार का ईनाम
अब आपका महान देशभक्त होना है।
जितेन्द्र 'कबीर'
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश