Berojgari by dr indu kumari
बेरोजगारी
बेरोजगारी के मार से
युवा दल बेहाल है।
जितने भी है रोजगार
योजना से नेता गण निहाल है।
जनता करती त्राही -त्राही
पेट में पड़ता पाल है
जर्जर काया वसन विहीन1
ठंड से ठिठुरता हुआ तन
बरसात में भींगता हुआ मन
पूस की रात कटती कैसे
दो जून निकलती कैसे
जानता है ये निर्धन
देश के चमचे क्या जाने
जो भेड़ियों के खाल है
मगरमच्छी आंसू रोने वाला
धूप में पकाया बाल है
स्वार्थ की बू निकलती है
दोनों की लूटने की चलती चाल है
टूटे हुए और टूट जाते हैं
इनके बुने हुए जाल में
बेरोजगारी की मार ही
बहुत बड़ी समस्या है
इससे निपटारे में देखें
कौन मसीहा आते हैं।
स्व रचित
डॉ.इन्दु कुमारी
हिन्दी विभाग मधेपुरा बिहार
9431084142