varun kavita by anita sharma jhasi
वरुण
वरूण वरूण पुकार रही थी,
कहीं न मिलता मुझको ।
तभी आसमान ने बोला आकर ,
लाकडाऊन है भाई ।
हैं?लाकडाऊन किसने लगाया?
जरूरत यहाँ कहाँ थी ?
आसमान तब बोला,इन्द्रदेव का आदेश हुआ।
मैंने हैरत से पूछा .......
कहीं अतिवृष्टि कहीं सूखा ?
तब वरूण आकर बोला.....
तीसरी लहर बच्चों पर भारी,
बूँदो को क्वारनटाइन किया है।
कोरोना है भाई ।
नभ पर भी ,हैरत से पूछा मैंने,
डर लगता महामारी का।
पर,धरती बेहाल हुई,जुलाई लग गया भाई,
तभी वरुण तमतमाकर बोला..
और करो मनमानी।
वृक्ष काटते ,जंगल खत्म किये ,
अब पर्यावरण विषम संकट है ।
कैसे बरसू मैं बतलाओ तो ?
अब भी समय तुम्हारे पास है,
चेत वृक्ष रोपण कर सीचो ।
ओह कर्म का प्रारब्ध मिला है ,
क्यों रोता है भाई।।
---अनिता शर्मा झाँसी
----स्वरचित रचना