Meera diwani kanha ki by Indu kumari

August 22, 2021 ・0 comments

 मीरा दीवानी कान्हा की

Meera diwani kanha ki  by Indu kumari


मीरा दीवानी कान्हा की

प्रेम से छलकत जाय 

जागत रहे दिन -रात

फिर भीदरस ना पाय 

शुली ऊपर सेज है

लगी प्रेम की डोर 

लागी ऐसी लगन है

कोशिश करी पुरजोर

जब तलक मिले नहीं

छोड़ी न आस की डोर

गिरधर नागर को पायी

 करी तप करजोर

प्रेम की ताकत में 

ठहर न पावै कोय

प्रीत के बल से लखावे 

दूजा ना देखे कोय ।

        स्व रचित 

डॉ. इन्दु कुमारी हिन्दी विभाग मधेपुरा बिहार

Post a Comment

boltizindagi@gmail.com

If you can't commemt, try using Chrome instead.