Tanashahi pravitti kavita by Jitendra Kabir
तानाशाही प्रवृत्ति
हर कोई चाहता है कि
सहमत हों,
सब उसके विचारों
और कर्मों से,
उसके मन-मुताबिक ही
दुनिया चले,
एक आदर्श समाज के लिए
यही उसकी संकल्पना है।
मगर ऐसा होना संभव नहीं
हो पाता कभी,
इस बात को अच्छी तरह
समझते हैं ज्यादातर लोग
इस हकीकत को,
इसलिए अधिकतर
लोग शांतिपरस्त होते हैं।
लेकिन इस सच को
स्वीकार करने के बजाय
कुछ लोग करते हैं
कोशिश पूरे जोर से
एक ऐसी दुनिया बनाने की
जिसमें नहीं हो
उनसे असहमति की
कोई भी जगह।
आज हमारे समाज में
हिंसा और बल प्रयोग के
बढ़ते चलन के पीछे
ऐसी प्रवृत्ति के लोगों का ही है
बहुत बड़ा योगदान।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति- अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314