Shikshak Teri kahani by dr indu kumari
शिक्षक तेरी कहानी
गुरू का दर्जा सबसे ऊंचा
कहलाते हैं राष्ट्र निर्माता
शिष्योंके हैं भाग्य विधाता
उनके शरण में जो आता
सर आंखों पर उन्हें बिठाता
कर्मवीर का पाठ पढ़ाता
आलस को कोसों दूर भगाता
लेता है जो गुरू से ग्यान
बन जाता है वो महान
बुद्धि विवेक पहले आ जाती
जग में रहना है सिखलाती
अपना चूल्हा चाहे रोता है
फिर भी शिक्षा देता है
सरकार हमारी है अच्छी
ससमय वेतन नहीं देती
हर काम इनसे ही लेती
गुरू की खाली हो जब पेट
शिक्षा की महल बनेगी रेत
धूमिल होगी इनकी पहचान
कैसे हो जन-जन का कल्याण
जहां गुरू की होगी अवहेलना
कैसे संवरेगी ग्यान की गहना।
स्व रचित
डॉ.इन्दु कुमारी
हिन्दी विभाग
मधेपुरा बिहार
852113