Zindagi yun he jazbat se nhi chalti by Ajay Prasad
जिंदगी यूँ ही जज्बात से नहीं चलती
जिंदगी यूँ ही जज्बात से नहीं चलती
फक़त उम्दे खयालात से नहीं चलती ।
रुखसत होता हूँ रोज घर से रोज़ी को
गृहस्थी चंदे या खैरात से नहीं चलती ।
मुसलसल जंग है जरूरी जरूरतों से
हसीं ख्वाबो एह्ससात से नहीं चलती ।
रज़ामंदी रूह की लाज़मी है मुहब्बत में
बस जिस्मों के मुलाकात से नहीं चलती ।
कब्र की अहमियत भी समझो गाफिलों
दुनिया सिर्फ़ आबे हयात से नहीं चलती ।
-अजय प्रसाद