Badduaon ke bhagidar by Jitendra Kabir
October 08, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
बद्दुआओं के भागीदार
दूसरों की नहीं कह सकता
लेकिन अपने घर में
मां ,बहन, बेटी और भी कई सारी
महिलाओं की मौजूदगी ने मुझे
दुनिया की बाकी महिलाओं के
सम्मान, निजता, इच्छाओं
व जरूरतों के प्रति
संवेदनशील और सहनशील बनाया है।
महिलाओं के ऊपर क्रूरता
बरतने वाले पुरुषों की जिंदगी में
रहा नहीं होता शायद
किसी महिला का सकारात्मक प्रभाव,
या फिर वो रहता है
अपने वेग पर नियंत्रण करने में नाकाम,
महिलाओं की कमजोर सामाजिक स्थिति का
फायदा उठाते हुए ऐसे पुरुष
उनका शोषण करने में होते तो हैं कामयाब
लेकिन मन से ऐसे लोगों को
महिलाओं ने कभी नहीं अपनाया है और
जी भर के उन्हें अपनी बद्दुआओं का
भागीदार बनाया है।
जितेन्द्र 'कबीर'
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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