Fislan by Anita Sharma
"फिसलन"
संसार के मोह जाल में उलझे
फिसल रहा समय।
कब किसको फुर्सत यहाँ पर
बीत रही उम्र ।
शून्य में समाहित हो जायेगा
नश्वर शरीर।
आत्मा मिल जायेगी परमात्मा
में जाकर ।
शून्य ब्रम्हाण्ड से उपजे थे और
विलुप्त उसी में होना।
संसार के रिश्तों में फंसकर
भूल गये गंतव्य को ।
मन की गति क्षणिक आवेगों में
उलझ फिसलता।
संवेगो भावों में फंसकर जाने कितने
चक्रो में फंसता।
नियंत्रित मनोभाव हो जाते
चिर शान्ति अंतस में पाते।
परम ब्रम्ह शून्य चिर शान्ति अवस्था
अंतस में भक्ति रस उपजे।