प्यार की डोर-डॉ इंदु कुमारी
November 22, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
प्यार की डोर
हम सब जिनसे बँधे हुए
वो है प्यार की डोर
वर्ना रिश्ते चटक रहे है
बिना किये ही शोर
अपनों की पहचान खो रही
जिन्दगी दुस्वार है हो रही
देखना चाहे न कोई किसी को
अभिमान है आड़े आ रही
ईर्ष्या द्वेश को जगह मिली है
रिस्ते पहचान खो है रही
छोटी-छोटी सी जो बातें
भयंकर आकार है ले रही
प्यार की डोर में वो शक्ति
है संभव रिस्ते जुड़ जाए
डाह अगन जो दिल से मिटे
मान लेअपनी छोटी सी भूल
खुशियों की होगी इंजोर
बंध जाओगे प्यार की डोर।
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