प्यार बांटते चलो- तमन्ना मतलानी

नन्हीं कड़ी में...आज की बात
प्यार बांटते चलो...

प्यार बांटते चलो- तमन्ना मतलानी
अपने जीवन काल में हमनें यह अवश्य ही देखा होगा कि जीवन में जितने भी आधुनिक सुख-सुविधा के साधन उत्पन्न हो गए हैं उनके आने से जीवन जितना सरल बनना चाहिए था वही जीवन उल्टा कठिन बनता जा रहा है। अगर हम इसके कारणों को जानने का प्रयास करेंगे तो हमें इस कठिनाई के पीछे में मन के अंदर छिपी दूसरों को पीड़ा देकर खुशी प्राप्त करने की लालसा ही हमारे जीवन की खुशियों के मार्ग की सबसे बड़ी रुकावट है। आज के इस आधुनिक युग में हर एक व्यक्ति दूसरे से आगे निकलने की चाह के साथ जी रहा है। हम सभी जीवन में कुछ तरक्की पाने की, और ज्यादा हासिल करने की चाह में केवल भागमभाग वाली अंधी दौड़ में बिना कुछ सोच-विचार किए सिर्फ दौड़ते ही चले जा रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने से आगे वाले व्यक्ति से आगे निकलने की कोशिश कर रहा है परंतु किसी को भी यह जानकारी नहीं है कि वह कहाँ जा रहा है अथवा वह जाना कहाँ चाहता है ? या वह जिस दिशा में अन्य लोगों के साथ असभ्य कृत्य करते हुए आगे जाने का प्रयास कर रहा है तो वह मार्ग उसके लिए सही है भी या नहीं ?
आज सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर इस विषय पर ही एक सुंदर सा विचार पढ़ने को मिला जिसका सारांश आप सभी के सम्मुख अवश्य रखना चाहूँगी।
एक बुजुर्ग महिला बस में बैठी थी तभी कुछ ही देर में एक नौजवान लड़की उस बुजुर्ग महिला के पास आकर बैठी।उस लड़की का व्यवहार थोड़ा असभ्य सा प्रतीत हुआ।वह लड़की बार-बार अपना पर्स उस बुजुर्ग महिला को मारकर परेशान करने की कोशिश कर रही थी। उसे देखकर यह समझ ही नहीं आ रहा था कि वह उस अनजान बुजुर्ग महिला से नाराज है अथवा किसी अन्य व्यक्ति का गुस्सा उस महिला पर उतार रही थी।
यह नजारा पास ही बैठी एक दूसरी महिला देख रही थी, उसने बुजुर्ग महिला से पूछा कि यह नौजवान लड़की आपको इतनी देर से परेशान कर रही है फिर भी आपने उससे कुछ भी नहीं कहा ?
उस बुजुर्ग महिला ने जवाब दिया कि यह लड़की नौजवान है, इसने अभी संसार के उतार-चढ़ाव नहीं देखे हैं इसलिए इस लड़की में समझदारी की कमी है। इसे तो यह भी पता नहीं है कि यह क्या कर रही है। अतः ऐसे नादान बच्ची को मैं क्या बोलूं ? और तो और सबसे बड़ा कारण तो यह भी है कि मेरा सफर तो छोटा ही है, मैं तो अगले पड़ाव पर उतर जाऊँगी। इसलिए इतनी छोटी सी बात पर चर्चा करना भी उचित नहीं है।
वास्तव में जीवन के सफर में इस लड़की को कहाँ जाना है यह स्वयं उसे भी ज्ञात नहीं है क्योंकि इस लड़की का यह असभ्य व्यवहार उसे संसार में नफरत के अलवा कुछ भी नहीं दिलवा सकता।
हम जो व्यवहार संसार में लोगों से करते हैं वही व्यवहार अनजाने में ही हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनता जाता है, फिर चाहकर भी ऐसा व्यवहार हमारा पीछा नहीं छोड़ता।
मित्रों उस बुजुर्ग महिला की तर्कसंगत बातों को समझने और व्यवहार में अमल में लाने योग्य हैं। जब जिंदगी का सफर ही तय समय तक सीमित होता है और इस सफर में किसी अनजान व्यक्ति का मिलना हो भी जाता है तो उस अज्ञात व्यक्ति का साथ आखिर कितने समय तक रह सकता है? यह सब समझकर भी यदि हमारे व्यवहार में अपनापन नहीं है तो फिर हम अपने सगे संबंधियों से किस प्रकार का व्यवहार निभा सकते हैं ? आखिर हम सभी सभ्य समाज का हिस्सा ही तो है , अगर किसी को यह लगता है कि सामने वाले की परेशानी से हमें क्या लेना देना है तो यह समझ लेना चाहिए कि शायद ऐसे व्यक्ति को जंगल का कानून पसंद है जहां हर बड़ा प्राणी छोटे को मारकर ही अपना पेट भरता है। जिस प्रकार से जंगल के प्राणी केवल अपने आप में खुश रहना चाहते हैं ऐसे ही कुछ स्वार्थी लोगों की चाह भी केवल अपने आप में ही मस्त रहने की प्रवृति होती है। हमें अपने जीवन में ईर्ष्या रखने वाले लोग मिलते ही रहते हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जिनको अपने सुख से ज्यादा दूसरों का सुख अधिक लगता है और ऐसे लोग दूसरों का सुख देखकर ही अधिक दुखी हो जाते है। अगर ऐसे लोगों की ईर्ष्या का जवाब यदि ईर्ष्या से दिए जाने का प्रयास करेंगे तो अनजाने में ही हम भी ईर्ष्यालु बनकर ईर्ष्यालु की ही श्रेणी में आ जाएंगे। यदि हम इस छोटे से और सुंदर जीवन में किसी का अपनापन व प्रेम हासिल नहीं कर पाए हैं तो यकीन मानिए कहीं न कहीं हम स्वयं भी दोषी हैं क्योंकि हमने स्वयं ही गंदगी को गंदगी से साफ करने का प्रयास किया है।
किसी नए स्थान पर मकान लेना तो सरल है पर उस स्थान पर रहकर वहाँ के परिवेश में रहने वाले अपरिचित लोगों को अपना बनाना उतना ही मुश्किल है।परायों को अपना बनाने के लिए कई प्रकार के समझौते करने पड़ते हैं। यदि आप भी किसी एक स्थान को छोड़कर किसी अन्य नए स्थान पर गए होंगे तो आप इस बात में एक राय अवश्य रखते होंगे।
कई लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरे का अपमान करके, बार-बार उसे ताने देकर या उसका किसी न किसी बात पर निरादर करके,उन्हें क्षति पहुंचाने का प्रयास करते हुए गर्व और खुशी महसूस करते हैं(जैसा उपरोक्त घटना में बुजुर्ग महिला के साथ वह लड़की व्यवहार कर रही थी) ।अब मन में एक प्रश्न आता है कि क्या ऐसे लोगों को क्षमा किया जा सकता है जो केवल दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास करते रहते है या दूसरों को क्षति पहुँचाकर आनंद महसूस करते हैं? इसका सीधा और सरल उत्तर यही है कि हम ऐसे लोगों को भले ही क्षमा न करें परंतु उनसे एक दूरी अवश्य बनाई जा सकती है।हमें भी ऐसे लोगों के साथ यही करना है अर्थात प्रत्येक असभ्य व्यक्ति से दूरी बनाकर रखने में ही भलाई है।
साथियों जीवन की यह यात्रा तो सीमित है पर किसी को यह जानकारी भी नहीं है कि हम जा कहाँ रहे हैं ? क्या हम इस जीवन के छोटे से सफर को खुशियाँ बाँटने वाला और सभी के दिलों में सुनहरी यादगार बनाने वाले सफर में परिवर्तित नहीं सकते ? मुझे पूरा विश्वास है कि हम अपने प्रेम वाले व्यवहार से सभी लोगों के दिलों को मोहित करके अपने जीवन के इस अनमोल सफर को एक यादगार सफर बना सकते हैं।
इसलिए आइए हम सभी मिलकर एक बार विचार अवश्य करें कि हमें जाना कहाँ है? जीवन पथ पर हर एक व्यक्ति को पूर्ण विराम लेना ही है बस इतना ध्यान रखना जरूरी है कि संसार से विदा लेने के पश्चात किसी की आंखों में सहानुभूति के दो आंसू अवश्य हों। यकीन मानिए मित्रों जिस दिन हमारे लिए किसी के आंखों में दो बूंद आंसू होंगे, वही पल हमारी सच्ची जीत का होगा वरना तो सिकन्दर भी दुनिया जीत कर सब हार गया था। हमें हमारे जीवन रूपी सफर को खुशनुमा कैसे बनाना है यह सब हमारे ही हाथों में है। मनुष्य देह अमोलक है न जाने कितने जीवन मरण के चक्रों को पार करके यह देह हमें वरदान स्वरूप प्राप्त हुई है, इसे यादगार बनाना है तो जीवन में सिर्फ प्यार बांटते चलो। यह जीवन तो बहुत ही छोटा है क्यों न इसे यादगार बना दें, कोई कहीं भी जाए परंतु हमें तो हमारी मंजिल की पहचान रखना है.....

तमन्ना मतलानी
गोंदिया(महाराष्ट्र)
भारत

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