हालात बदलेंगे क्या?- जितेन्द्र 'कबीर'
مارس 26, 2022 ・0 comments ・Topic: Jitendra_Kabir poem
हालात बदलेंगे क्या?
आज जब नारे बुलंद होंगेदुनिया भर में
महिलाओं की सुरक्षा के,
बहुत सारी महिलाएं संघर्ष कर रही होंगी
हवस के पुजारियों के खिलाफ,
और फिर कल यही ज़माना
पूरे कपड़े पहनने, अकेले बाहर ना निकलने,
अपनी हद में रहने जैसी हिदायतें दे
उसे ही दोषी ठहरा
कर लेगा अपने कर्तव्य की इतिश्री।
आज जब अखबारें भरी होंगी
दुनिया भर में
महिलाओं के गुणगान से,
दहेज के लिए प्रताड़ित की जा रही होंगी
कई विवाहिताएं
या फिर कल होगी सूटकेस में बरामद
किसी महिला की लाश
समाज की नग्न चरित्र दिखाती हुई
और लोग लगा कर मुंह पर ताले
कर लेंगे अपने कर्तव्य की इतिश्री।
आज जब सरकारें कसीदे पढ़ेंगी
दुनिया भर में
महिलाओं के सम्मान में,
बहुत सी महिलाएं आवाज उठा रही होंगी
सरकारी तंत्र और नेताओं के शोषण के खिलाफ,
और फिर कल
अपने लोगों को बचाने के चक्कर में
देश के कर्णधार
खुली छूट देंगे पुलिस और मीडिया द्वारा
पीड़ित को ही मुजरिम ठहराने की मुहिम को,
और लोग सरकारी कफन से ढक कर
मृत जमीर को
कर लेंगे अपने कर्तव्य की इतिश्री।
जितेन्द्र 'कबीर'
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