बेहतर, प्रबल और नेक बने!

 बेहतर, प्रबल और नेक बने!

डॉ. माध्वी बोरसे!
डॉ. माध्वी बोरसे!

एक जिंदगी है, दूसरे जन्म का हमें कोई पता नहीं!

इतना तो पता है कि हमें इस जिंदगी को प्रसन्नता पूर्वक, सकारात्मक सोच के साथ, अच्छे व्यवहार के साथ और प्रेम से व्यतीत करनी चाहिए! जिंदगी में उतार-चढ़ाव, मुश्किल परेशानी तो आती ही रहेगी! अगर दुख नहीं होगा फिर हमें सुख में आनंद कैसे आएगा, अगर रोना नहीं आएगा तो फिर हंसने में खुशी कैसे होगी, जिंदगी बहुत ही सरल सी नहीं हो जाएगी? 

चलिए जिंदगी में कोई भी बाधा आए, परेशानियां आए, तकलीफ आए , उस पर अपनी सारी ऊर्जा अपनी परेशानियों पर लगाने की जगह हमें यह याद रखना चाहिए की अब हमने क्या सीखा और अपनी ऊर्जा हम अपने आप को बेहतर बनाने में लगाएं! जी कहना बहुत ही आसान है, लिखना भी, पर जिंदगी में रोना, हार मान जाना यह उससे भी ज्यादा आसान है, मुश्किल है, तो बाद में यह सोचना कि हमने अपने समय को, रोने में, किसी पर इल्जाम लगाने में, और जिंदगी को पहचानने में कितना वक्त जाया कर दिया है! 

अगर इसी तरह जिंदगी जीनी है तो क्यों ना मुश्किल का सामना पहले ही कर लिया जाए! 

जब भी हम बहुत ही खुशी में हो, बहुत गुस्से में हो, कोई निर्णय ना ले, पर उस ऊर्जा को कोई ना कोई कार्य करने में व्यतीत करें, हमारा कार्य जरूर सफल होगा!

इस जिंदगी में, अगर हम देखें, तो हम पाएंगे कि हमने यह जीवन, अनुभव पाने, कुछ नया सीखने और अपने आप को बेहतरीन बनाने के लिए ही लिया है! बेहतर बनने का मतलब यह नहीं, लोग हमारी सराहना करें, इसका मतलब यह है कि, हम अंदर से अपने आप को प्रसन्नता से भरा हुआ महसूस करें, संतुष्ट महसूस करें, ऊर्जावान महसूस करें और बहुत ज्यादा आत्मबल स्वयं में हो!


उम्मीद कभी ना छोड़िए, अपने आप को हर क्षेत्र में बेहतर बनाइए, जिसमें आप प्रश्न महसूस करते हैं!

खेलकूद, संगीत, नृत्य, शिक्षा या कोई अविष्कार करके! स्वयं को पसंद करें, स्वयं से प्रेम करें, सबसे पहले स्वयं का सम्मान करें, अपना काम समय पर करें, लोगों को खुश करने की जगह, पहले स्वयं की खुशी का भी ध्यान रखें, बस जरूरी यह है कि हमारी वजह से किसी को शारीरिक या मानसिक तकलीफ ना हो, पर इसकी वजह अगर यह है कि आप उनके पसंद का कार्य नहीं करते, विषय नहीं लेते या वस्त्र नहीं पहनते, विवाह नहीं करते, तो उन्हें नजरअंदाज करते हुए आगे बड़े! आपकी जिंदगी में किसी भी तरह की दखलअंदाजी करने का, किसी को भी अधिकार नहीं है, इसलिए मत करने दीजिए!

खुद को बेहतर बनाने के लिए कंफर्टेबल, स्वतंत्र रखना बहुत जरूरी है!

आप को बेहतर बनाने के लिए जरूरत है कि हम स्वयं पर ध्यान दें क्योंकि कोई भी हमें बेहतर बनने से रोक नहीं रहा है! दूसरों से तुलना करना, कंपटीशन करना, जलना, लड़ना, उनके बारे में बुराइयां करना, छोड़ दीजिए! इस तरह की सोच आपको आगे बढ़ाने की जगह पीछे की ओर धकेलति है, कमजोर बनाता है और बेहतर व्यक्ति बनने से रोकती है! 

स्वयं को बेहतर बनाने के लिए यह भी जरूरी है की हम यह पूरा ध्यान रखे कि हमारी संगति कैसी है, संगति ज्यादातर बुरी अच्छी नहीं होती है, पर हम जिस भी तरह का इंसान बनना चाहते हैं, हमारे जो भी लक्ष्य है वह हमारे दोस्तों से मिलते हो ना कि जुदा हो फिर भी हमें बहुत से रिश्ते बचपन से ही मिले हैं, हमारे साथ है तो उनमें अच्छाइयों को परखने की कोशिश करें, उनकी अच्छाइयों को अपने अंदर उतारे, उनकी अच्छाइयों का कारण पूछे और जिंदगी को सही नजरिए से देख कर और बेहतर बनाएं!

ना बैठे अपनी परेशानियों को लेकर,

बेहतर बनना ही तो हमारा लक्ष्य है,

चलो बनाते हैं हर दिन को बेहतर, 

इसी मैं हमारा बेहतर भविष्य है!

डॉ. माध्वी बोरसे!

(स्वरचित व मौलिक रचना)

राजस्थान (रावतभाटा)


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