शादियाँ

 शादियाँ

सुधीर श्रीवास्तव
सुधीर श्रीवास्तव

शादियां वास्तव में एक अनुबंध है

दो परिवारों, दो दिलों का,

जिसमें निभाई जाती हैं

परंपराएं, धारणाएं, मान्यताएं।

निभाएं जाते हैं आत्मीय संबंध

बिना किसी शर्त या स्वार्थ के

रिश्तों के नाम पर समर्पित

एक दूसरे के विश्वास पर।

अन्जाने स्त्री पुरुष जीते हैं

अपने अंतिम प्रस्थान तक,

सुखदुख सहते मिल बाँटकर

संतति देकर प्रकृति की व्यवस्था को

आगे बढ़ाते हंँस हँसकर।

समय की मार शादियां भी झेल रही हैं,

रिश्तों की अहमियत में

गर्म लहू प्रवेश कर रही है,

अब तो शादियां भी 

अपनी गरिमा खो रही हैं,

समय की मार से शादियां भी

कहाँ बच पा रही हैं,

आधुनिकता के रंग में

शादियां भी रंगती जा रही हैं।

दो दिलों के मिलन में

अब तो दूरियां बढ़ रही हैं,

शादियां भी शायद 

औपचारिकताओं के चक्रव्यूह में

अब फीकी फीकी हो रही हैं। 


सुधीर श्रीवास्तव

गोण्डा उत्तर प्रदेश

8115285921

© मौलिक, स्वरचित

०६.०५.२०२२

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