विज्ञापन-मय भारत

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जितेन्द्र 'कबीर'
जितेन्द्र 'कबीर'

सरकारी अस्पतालों में

पर्ची बनाने से लेकर डॉक्टर को दिखाने

एवं छत्तीस प्रकार के टेस्ट करवाने के लिए 

लगने वाली लम्बी -लम्बी कतारों को देखकर

इंसान बीमार होने से भी डर रहा है

और विज्ञापनों के अनुसार हमारा भारत

स्वास्थ्य-सुविधाओं के क्षेत्र में

विश्वगुरु बन रहा है।


महिलाओं एवं बच्चियों से दुष्कर्म की 

खबरों से

रोज के रोज अखबार पूरा भर रहा है

और विज्ञापनों के अनुसार हमारा भारत

एक बार फिर से रामराज्य बन रहा है।


खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर

आम आदमी की जरूरत के हर सामान का मूल्य 

बढ़ते हुए लोगों का जीना

दूभर कर रहा है 

और विज्ञापनों के अनुसार हमारा भारत

संसार का सबसे लोक-हितकारी राज्य

बन रहा है।


विज्ञान विषय को चुनने वाले छात्रों की संख्या में

आ रही है निरन्तर कमी,

तर्क एवं शोध को पीछे छोड़

युवा राग धार्मिक कट्टरता का जप रहा है

और विज्ञापनों के अनुसार हमारा भारत

विज्ञान व टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में

आत्मनिर्भर बन रहा है।


अब तक लिखे गये समूचे इतिहास को 

खारिज करके 

फिल्मों, वाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब के जरिए

इतिहास की पीएचडी करने वालों का आंकड़ा

बढ़ रहा है

और विज्ञापनों के अनुसार हमारा भारत

समूचे विश्व के लिए ज्ञान का स्त्रोत

बन रहा है।


                                      जितेन्द्र 'कबीर'

यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।

साहित्यिक नाम- जितेन्द्र 'कबीर'

संप्रति- अध्यापक

पता- जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश

संपर्क सूत्र - 7018558314

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