यही जीवन चक्र है
June 24, 2022 ・0 comments ・Topic: poem sudhir_srivastava
यही जीवन चक्र है
सुधीर श्रीवास्तव |
जीवन क्या है
यह समझाने नहीं
खुद समझने की जरूरत है,
अदृश्य से जीवन की शुरुआत
पल पल, छिन छिन विकास की गति
कितने रंग और दौर दिखाती है
नवजात, अबोध और बालपन से
चलते हुए बाल्यकाल, तरुणावस्था से होते हुए
युवा और फिर प्रौढ़ बनाती है
जिंदगी के रंग दिखाती है
धूप छांव का बोध कराती
धीरे धीरे खोखला होकर
जीर्ण, शीर्ण, क्षीण हो असहाय हो जाता
और फिर जीवन समाप्त हो जाता
जीवन चक्र अपना चक्र पूरा हो जाता
जब तक जीवन समझ में आता
जीवन का चक्र इतिहास हो जाता है।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक, स्वरचित
२६.०४.२०२२
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.