हार न मानने की जिद ने पैदा किया कवि और पायी परिस्थितियों पर जीत।

हार न मानने की जिद ने पैदा किया कवि और पायी परिस्थितियों पर जीत।

हार न मानने की जिद ने पैदा किया कवि और पायी परिस्थितियों पर जीत।

तितली है खामोश’ से सत्यवान ‘सौरभ’ बने उम्दा दोहाकार।

 हरियाणा राज्य के भिवानी जिले के सिवानी उपमंडल के सबसे बड़े गाँव बड़वा के तीस वर्षीय डॉo सत्यवान ‘सौरभ’ की कविताओं व दोहों की सौरभ पूरे देश ही नहीं विदेशों तक फैली है। ईरान, फिजी, सूरीनाम, मारीशस जैसे हिंदी को पसंद करने वाले देशों की पत्र-पत्रिकाओं में सत्यवान ‘सौरभ’ के दोहे खूब प्रकाशित हो रहे हैं और चाव से पढ़े जा रहे है। जी हाँ, यही खाशियत है ‘सौरभ’ के दोहो की जो दो पंक्तियों में होने के कारण आसानी से याद हो जाते है और मारक क्षमता इतनी की किसी के दिल की बात कह दी हो। सत्यवान ‘सौरभ’ देश के ऐसे लेखक-कवि हैं जिनकी पहली पुस्तक मात्रा कक्षा दस में पढ़ते हुए छपी और खूब सराही गई। 

 

2005 में छपी इनकी पहली पुस्तक ने पदम् विभूषण स्वर्गीय विष्णु प्रभाकर जी का ध्यान आकर्षित किया और ‘सौरभ’ को उन्होंने तीन पत्र प्रशंसा के तौर पर लिखे। सौरभ को बचपन से ही लिखने का शौक रहा है; कक्षा पांच से इनकी कवितायेँ व दोहें लगातार देश-विदेश की हज़ारों पत्र-पत्रिकाओं में छप रहे है। कक्षा छह में पढ़ते हुए इनके दोहों का प्रसारण आकाशवाणी हिसार व रोहतक से हुआ। कक्षा 12 में इनका पहला रिकार्डेड कार्यक्रम दूदर्शन हिसार से प्रसारित हुआ। इसके बाद तो कई सरकारी , प्राइवेट और यूट्यूब चैनल्स इनके दोहे लगातार लोगो तक पहुंचा रहे है। सोशल मीडिया पर इनके लिखे दोहे खूब छाये हुए है। इनकी लेखनी वर्तमान समस्यायों पर तो तीखा प्रहार करती ही है, इसके साथ-साथ इंस्पिरेशनल होने के कारण युवा पीढ़ी इनके दोहों के स्क्रीन शॉट अपने पास रख रही है और खूब शेयर कर रही है। 

 

सत्यवान सौरभ की 4 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। यादें काव्य संग्रह, तितली है खामोश दोहा संग्रह, कुदरत की पीर निबंध संग्रह और अंग्रेजी में एक पुस्तक इश्यूज एंड पैंस उनकी प्रमुख पुस्तकें है; अभी एक पुस्तक परी से संवाद प्रकाशनाधीन है। इनके लिखे दोहे न केवल हर किसी को पसंद आते हैं बल्कि लोग इनके लेखन के पीछे के उद्देश्य को भी भली-भांति समझ पाते हैं। यही कारण है की दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा के साथ-साथ देश भर के गायक कलाकार इनके दोहों को गाकर लोगों तक पहुंचा रहे हैं। सौरभ की पहली पुस्तक तब आई जब ज्यादातर बच्चे कक्षा दस के बाद अपने भविष्य के लिए सोच रहे होते है मगर सौरभ के लिए के बाद की राह कक्षा दस का ब्लॉक टॉपर होने के के बावजूद आसान नहीं रही। 

 

आर्थिक हालातों ने सौरभ को कुछ अलग करने के लिए प्रेरित किया; पैसों के आभाव में अच्छे स्कूल में दाखिला न मिलने के कारण सौरभ की भावनाएं अलग रूप लेने लगी। पढाई के खर्चे के लिए गाँवों के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया। संघर्ष के दौर में लिखी कवितायें अख़बारों में छपी। मानदेय इकट्ठा कर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में पशुधन सहायक की डिप्लोमा फीस भरी। यूनिवर्सिटी टॉप किया और मेधावी छात्र होने के कारण पशुपालन विभाग में बाईस वर्ष की उम्र में वेटनरी इंस्पेक्टर की सरकारी नौकरी मिली। नौकरी के साथ पढ़ाई जारी रखी। पोलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री करने के बाद शिक्षा क्षेत्र और साहित्य में सौरभ आज भी सक्रिय रहते हैं। 

 

इनका लेखन और जीवन लोगों को इस कद्र प्रेरित करते हैं कि हर कोई ये सोचने पर मजबूर हो जाता है कि विपरीत परिस्थितियों पर धैर्य से जीत हासिल की जा सकती है। सौरभ कि उपलब्धियों पर उन्हें सैंकड़ों राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इंटरनेशनल ब्रिटिश अकादमी और इंटरनेशनल फॉरम ऑफ पीस अकादमी तथा वर्ल्ड पीस फेडरेशन, बांग्लादेश एवं फिलीपींस द्वारा दिनांक 19 मार्च, 2022 को यूनिवर्सिटी एंड म्यूजियम ऑफ़ द रिसर्च एंड विजडम, ढाका द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल प्रोग्राम में गाँव बड़वा, सिवानी (भिवानी) के युवा लेखक दम्पति सत्यवान 'सौरभ' एवं प्रियंका 'सौरभ' को उनकी शैक्षणिक, साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यों मे अतुलनीय अनवरत योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। 

 

सौरभ, ब्रिटेन, बांग्लादेश व फीलिपिन्स दे श द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित होने वाले हरियाणा के प्रथम व्यक्ति हैं जो कि हरियाणा सहित सम्पूर्ण भारत के लिए विशेष सम्मान की बात है.

 

माता, पत्नी और बहनों ने दिया साथ

 

सौरभ ने बताया कि बचपन से इनकी बहन आकाशवाणी हिसार की एंकर बिदामो देवी ने उन्हें कुछ अच्छा लिखने के लिए प्रेरित किया। आर्थिक हालातों पर ट्यूशन के जरिये विजय पाने की कला उन्होंने अपनी बहन से ही सीखी। गाँव के बच्चों को ट्यूशन देना शुरू किया। कुछ पैसे आये तो दोनों ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। डाक पोस्ट के लिए माँ के जनरल स्टोर से मिलने वाले पांच रुपये सौरभ के लिए पांच सौ में तब्दील होते गए। घर पर रहकर ही उन्होंने सरकारी नौकरी न मिलने तक पढ़ाई जारी रखी। पत्नी प्रियंका सौरभ जीवन में आई तो कुछ अलग हुआ। पत्नी के साहित्य में रूचि रखने के कारण साहित्य ने और रफ़्तार पकड़ी; छह पुस्तकें आई और दैनिक सम्पादकीय लेखन शुरू किया।

 

शिक्षा

 परास्नातक एवं पशु चिकित्सा में डिप्लोमा; उर्दू डिप्लोमा।

 

प्रकाशन

 सौरभ की 4 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। यादें काव्य संग्रह, तितली है खामोश दोहा संग्रह, कुदरत की पीर निबंध संग्रह और अंग्रेजी में एक पुस्तक इश्यूज एंड पैंस इनकी प्रमुख पुस्तकें है; अभी एक पुस्तक परी से संवाद प्रकाशनाधीन है। इनके दोहे सामायिक हालातों पर होते है जो सोशल मीडिया पर बड़े चाव से आजकल शेयर किये जा रहे है। कई जाने-माने गायक इनके लिखे दोहे अपनी आवाज़ में गाकर लोगों तक पहुंचा रहे हैं। इनके दोहो को लोगों ने खूब पसंद किया है।

 

सम्मान/ अवार्ड

 

. सर्वश्रेष्ठ निबंध लेखन पुरस्कार हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी 2004

. हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड काव्य प्रतियोगिता प्रोत्साहन पुरस्कार 2005

.अखिल भारतीय प्रजापति सभा पुरस्कार नागौर राजस्थान 2006

. प्रेरणा पुरस्कार हिसार हरियाणा 2006

. साहित्य साधक इलाहाबाद उत्तर प्रदेश 2007

. राष्ट्र भाषा रत्न कप्तानगंज उत्तर प्रदेश 2008

. अखिल भारतीय साहित्य परिषद पुरस्कार भिवानी हरियाणा 2015

. आईपीएस मनु मुक्त मानव पुरस्कार 2019

. ब्रिटेन, बांग्लादेश व फिलीपींस देश द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित होने वाले हरियाणा के प्रथम व्यक्ति 2022



(साभार आरके फीचर्स)

 



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