कविता -शहर

शहर

गांवों के सपने 
संभाल लेता है शहर 
हो जाओ दूर कितना भी
पास बुला लेता है शहर ।

गांवों में उड़ जाते है 
टुकड़े अख़बारों के 
हर घटना को 
खबर बना देता है शहर ।

हो चाहे 
कितना भी गरीब 
मेहनत से अमीर 
बना देता है शहर ।।

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© जीतेन्द्र मीना, गुरदह
करौली ( राजस्थान )
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