कविता -शहर
शहर
गांवों के सपने
संभाल लेता है शहर
हो जाओ दूर कितना भी
पास बुला लेता है शहर ।
गांवों में उड़ जाते है
टुकड़े अख़बारों के
हर घटना को
खबर बना देता है शहर ।
हो चाहे
कितना भी गरीब
मेहनत से अमीर
बना देता है शहर ।।
About author
करौली ( राजस्थान )