मार्ग स्वतः ही बनेगा।

मार्ग स्वतः ही बनेगा।

प्रारंभ कर जीवन का सफर,
त्याग दे आलस का जहर,
बस एक बार आरंभ करना है जरूरी,
तेरे हित में है सफलता की हर एक लहर।
आजकल हममें से बहुत से लोग इसी बात से परेशान है कि उन्हें जीवन में क्या करना है, अधिकतर तो कोई कार्य भी नहीं कर रहे हैं। हमें रुकना नहीं चाहिए और बहुत देर तक रुकना तो बिल्कुल भी नहीं चाहिए। अगर हम चलते जाएंगे तो हमें कोई ना कोई उचित मार्ग अवश्य मिलेगा, रुकने पर तो कोई मार्ग मिलना संभव नहीं।

जब भी जीवन में हम दुविधा में पड़े और अगर हमें कोई मार्ग नजर ना आए, तो धीरे धीरे चलना सीखे, मार्ग स्वतः ही तैयार हो जाएगा। जी, जब तक हम शुरुआत नहीं करेंगे, हमें कैसे पता चलेगा की हमारे अंदर क्या खूबियां है, हम किस कार्य को शिद्दत से कर सकते हैं, हमारी जिम्मेदारियां क्या क्या है, हमें किस उद्देश्य से इस धरती पर भेजा गया है।

हो सकता है, हम एक वैज्ञानिक, शिक्षक, चिकित्सक या इंसानियत के फरिश्ते की तरह नजर आए पर इसके लिए हमारा जीवन में शुरुआत करना जरूरी है।
हमें अपने शक्ति का आभास हमारा कार्य ही कराएगा, कुछ तो होगा हमारे अंदर जिसमें हमें बहुत प्रोत्साहन मिलेगा और हम उसे करना चाहेंगे।

मेरी पसंदीदा कहानी में से एक कहानी है,
एक बार एक छोटा सा हाथी होता है, उसके पैर को चेन से बांध दिया जाता है, वह बहुत कोशिश करता है उस चेन को तोड़ने की पर उससे वह बड़े होने तक नहीं टूटती, अब जिंदगी भर कोशिश ना करें तो वह एक आलसी और गुलाम बनकर एक ही जगह पर रह जाएगा पर जब वह बड़ा हो जाता है, और बार-बार कोशिश करने पर 1 दिन बड़ा होकर उसे, एक ही हिट में तोड़ देता है, बस शर्त यह हे कि वह प्रयास करें, जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है, हमें शुरुआत करनी चाहिए, और चलते रहना चाहिए, मार्ग अपने आप बनता चला जाएगा और प्रकृति आपसे वह जरूर कराएगी जिसे करने के लिए आपने इस धरती पर जन्म लिया है, अपने पसंदीदा कार्य को शिद्दत से करना चाहिए और करते करते ही कोई हमें भी जरूर प्रोत्साहन दे जाएगा या तो हमें अपनी शक्ति का आभास हो जाएगा।
जब तक तू ना चलेगा,
लक्ष्य तक कैसे पहुंचेगा,
भयभीत होकर बैठेगा,
जीवन में क्या फिर करेगा,
शुरुआत कर, चल पहल कर,
मार्ग स्वतः ही बनेगा।।

 About author

Dr madhvi borse
डॉ. माध्वी बोरसे
विकासवादी लेखिका
राजस्थान (रावतभाटा)
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