मुझे कहां पता था
October 01, 2022 ・0 comments ・Topic: poem Veena_advani
मुझे कहां पता था
आरज़ू थी तेरे संग जिंदगी बिताऊंगीआरज़ू थी तेरा साथ अंत तक मैं निभाऊंगी।।
मेरी आरज़ूओं को तुमने ही तो तोड़ा है
सोचा था मैंने जिंदगी तेरे नाम कर मुस्कुराऊंगी।।
मेरी आरज़ूओं कि कद्र कहां कभी तुमने कि
सोचा था हर एक पल तेरे नाम लिख तुम्हें सताऊंगी।।
अपनी आरज़ूओं के टुकड़े देखती जब कभी मैं
सोचती तेरे दिये जख़्मों के टुकड़ों को मैं सजाऊंगी।।
जब कभी दर्द-ए सैलाब में , मैं बह जाती हूं
सोचती लिख के हर दर्द मैं खुद को मरहम़ लगाऊंगी
तुमने तोड़ मुझे अपनी बेवफाई दिखा डाली
अपनी वफ़ा के किस्से कविता में लिख मैं सुनाऊंगी।।
सोचा समझा सबने वीणा के लिखे हर शब्द को
मुझे कहां पता थी मैं कभी दर्द-ए वीणा कहलाऊंगी।।
वीना आडवाणी तन्वी
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