घायल परिंदे| Ghayal Parinde

घायल परिंदे

मत उड़ इतना मासूम परिंदे
सब जगह रह देखें हैं दरिंदे
माना आसमां बड़ा बड़ा हैं
लेकिन वहां भी छैक बड़ा हैं
नहीं वहां हैं तेवारी कोई सुरक्षा
पग पग पर हैं कड़ी परीक्षा
पहचान नहीं पाओगे तुम जो
काट काट के वे खायेंगे तुम्हें
एक दो नहीं वे पैंतीस टुकड़े
कर डालेंगे क्या तुम ये सह पाओगी
माना तुम्हे आजाद हैं होना
जिसे तुम समझो हो बंधन
हैं नहीं ये बंधन तेरी सुरक्षा
जिसे छोड़ आजाद न होगी
अपना कवच तू खुद तोड़ेगी
सोचो समझो बचाओ शील
जो हैं तुम्हारे जीवन की रीत
मत सोचो तुम्हे नहीं आजादी
रखते रत्नों को सब लॉकर में
अमूल्य हो तुम सब के लिए
तभी तो संभाले सब से ज्यादा
बस करो अब उड़ना रानी
मतलबी हैं ये दुनियां फानी

About author  

Jayshree birimi
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद (गुजरात)
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url