जन्माष्टमी का पर्व प्यारा | janmastami ka parv
August 28, 2024 ・0 comments ・Topic: poem Prem Thakker
जन्माष्टमी का पर्व प्यारा
रात अंधेरी में गूंजा, मधुर बांसुरी का स्वर,जन-जन में जन्मा प्रेम, धरा पर आई लहर।
नंदलाल ने जन्म लिया, मुरलीधर का आया काल,
मात यशोदा के आँगन में, बसा प्रेम का अपार हाल।
गोकुल में हर्ष मनाए, बजी बधाइयाँ हर द्वार,
कान्हा ने रास रचाया, नाचा हर ग्वाल-बाल।
राधा संग रचाई लीला, मोहन ने मन हर लिया,
जग में प्रेम की बंसी बजाई, पाप का नाश कर दिया।
मधुबन में छेड़ा धुन प्यारी, गाए गोकुल के नर-नारी,
मटकी फोड़ने की तैयारी, कान्हा ने रचाई सवारी।
रात भर मनेगी ये रासलीला, मन में भरेगी नई कलीला,
जय-जयकार हो कृष्ण की, हर दिल में बसी है उसकी लीला।
जन्माष्टमी की शुभ बेला, भक्तों का हुआ उद्धार,
गूंज उठी हर दिशा में, मोहन की जय जयकार।
द्वारकाधीश का जन्म हुआ, मुरली का स्वर गूंज उठा,
आओ मिलकर गाएं हम, कृष्ण जन्म का आनंद मनाएं हम।
About author
प्रेम ठक्करसूरत ,गुजरात
ऐमेज़ॉन में मैनेजर के पद पर कार्यरत
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.