आसान है क्या? | Aasan hai kya ?

فبراير 09, 2025 ・0 comments

आसान है क्या?

आसान है क्या? | Aasan hai kya ?
क्या लगता है, कह देना आसान है? किसी से कुछ भी कह देना बिना सोचे– समझे ,यह आसान हो सकता है मगर अपने मन के भाव, अपनी पीड़ा,अपनी खुशी को उसी प्रकार कह पाना...आसान नहीं है। कोशिश करके देखना कभी, नहीं कह सकोगे क्योंकि शब्दों में उतनी शक्ति नहीं होती जो पूर्णतः अभिव्यक्त कर सके जब मन उद्विग्न हो। निर्भर करता है कि सामने वाला व्यक्ति जिससे बात कही जा रही है वह आपसे मानसिक तौर कितना जुड़ा हुआ है। उसी जुड़ाव के अनुपात में वह आपकी कही बात को समझ सकेगा।
फिर आसान क्या है.सुनना?....नहीं, सुनना तो कहीं ज्यादा कठिन है। कोई भी किसी की नहीं सुनना चाहता। हालांकि कहते हैं सब हैं कि हम सुनेंगे बात लेकिन जब सुनाओगे तो खुद देख लेना। और सुनना तब अधिक मुश्किल हो जाता है जब बात उनके विपरीत हो या उनके मनोनुकूल न हो। आवेश और तैश में व्यक्ति सुनना नहीं सुनाने लगेगा क्योंकि सब वही सुनना चाहते हैं जो उनको रुचिकर हो।
तब किसे आसान माना जाय, सहना?...सहना आसान है क्या? सोच कर देखिए। सहना तो सुनने से भी अधिक कठिन है। शायद कुछ को आसान लगे क्योंकि लोग जब किसी की तकलीफ सुनते हैं तो बहुत आसानी से कह देते हैं कि सब्र करो, सब ठीक हो जाएगा धीरे–धीरे। पर जो सह रहा है उससे पूछ कर देखो उसके एक – एक पल को उसने कैसे गुजारा है। कितनी ही पीड़ाएं, अपमान के दंश होठों पर चुप्पी रखकर सहे हैं। अन्दर से छलनी हो जाता है वो जो सहता है। यकीन नहीं?...तो एक बार खुद से पूछो यह सवाल जब न चाहते हुए भी आपको सहना पड़ा...याद आया कुछ! भले ही उससे रिश्ते सरल हुए, कठिनाई दूर हुई पर वो आसान था क्या सहन कर पाना? ईमानदारी से सोचना।
फिर आसान है क्या आखिर?...सब कुछ भूल कर सामान्य हो जाना! आसान है क्या? मजाक है क्या यह? हँसी आती होगी न उन पर जो लोग कहते हैं पुराना भूल कर आगे बढ़ो। जिसने सहा है उसके लिए सब भूल कर आगे बढ़ना आसान है क्या? जीवन में ऐसा करना व्यवहारिक तौर पर जरूरी है क्योंकि पुरानी बातों को साथ लेकर जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। नए रास्तों पर बढ़ना ही होता है जीवन की गति के लिए। मगर आसान नहीं है सब भूलकर सामान्य हो जाना। इसे मानते हो न?
आसान कुछ भी नहीं। न कहना, न सुनना और न ही सहना लेकिन सब करना पड़ता है समय के अनुरूप बस संतुलन बिठाना सीख सके और स्वयं को मानसिक तौर पर दृढ़ करना तो आसान तो नहीं...पर हो जाता है सब।

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मेघा राठी भोपाल, मध्य प्रदेश

मेघा राठीभोपाल,
मध्य प्रदेश

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