kavita anpadh beti by mosam khan alwar
नमस्कार साथियों मै मौसम खान मेवात अलवर राजस्थान से हूं मेरी ये कविता में मेवाती में लिख रहा हु जिसमे एक अनपढ़ बेटी पढ़ने की जिद्द करती है गौर फरमाए , होसलाअफजई करे,,,,,,।।।।
शीर्षक
अनपढ़ बेटी
मेरी होगी है अब टेम पढ़न कू में तो जाऊ,
मोकु देदे मेरी माई पेन किताब लेके,
मेरी होगी है अब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मां
कहा करेगी पढ़ लिख कर कहा तू बनजावेगी,
ऐसी क़िस्मत कहा हमारी नौकरी लगवजावेगी,
घर को काम सीख ले नहीं जिंदगी बिगड़ जावेगी,
मेरी कर इज्ज़त को ख्याल काई लू ज़िद्द पे अड़ री।।
तू सुन ले काई की और काई लू मन की कर री।।
बेटी
जा घर में पढ़ जावे बेटी वाकी किस्मत खुल जावे,
मेहनत कर के पड़जावे तो नौकरी भी लगजावे,
बेटी काई सु कम ना है नाम रोशन करजावे,
कल्पना चावला है देख नाम दुनिया में करगी,
सारी दुनिया कर री है याद नाम भारत को करगी।।
मोकु देदे मेरी माई पेन किताब,,,,,,,,,,,,,,,,,
बाप
भाई तेरा पढ़ रा है उनको बोहोत खर्चों है,
मिलकर तम सब पढ़ेगा और घर को भी तो खर्चों है
तेरा करना पीला हाथ देहज को और घनों खर्चों है,
गेहूं पक गा है खेतन में जा के लावनी करले
बेटी को प्यारो काम ,काम तू घर को करले।।
बेटी
बाबा माेकू नू बतादे बेटी क्या संतान नही,
बेटा को तो दूध पिलाते बेटी को क्या छाछ नही,
बेटा जावे पढ़न कोलिज में बेटी को अक्षर ज्ञान नहीं,
बाबा सुन्यो मेरी बात परायों धन मत समझे,
तेरो ऊचो करूंगी नाम पढ़न को मोको देदे।।
मोकू देदे मेरी माई पेन किताब,,,,,,,,
मेरी होगी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,
स्वरचित मेवाती बोल
मौसम खान (अलवर,) राजस्थान
- Click here👉 Like us on Facebook
- Click here👉 Follow us on Instagram