हवा मेरा संदेश पहुंचाना
कविता का शीर्षक
हवा मेरा संदेश पहुंचाना
ए हवा तुम उसके पास से गुजर ना,
जरा रुक कर उसके हाल-चाल पूछना,करे जब वो मेरी बातें तो मुस्कुराना।
मैं ठीक हूं मेरा कोई गम उसे मत बताना।।
तुम दूर ही रहना तुम्हारी रूत गर्म है,
पिंगल ना जाए वो बहुत नर्म है,
नहीं देखी है उसने परदेश की हवा।
थोड़ी शर्मीली है वो आंखों में बहुत शर्म है।।
तुम अपने साथ बादलों को ले जाना,
दुर दुर तक उनकी छावो को फैलाना,
मोरों को बोलना वो कुछ लम्हें नाचे।
तुम उसके बालों की घटा फैलाना।।
तुम जल्दी आना ख़बर उसकी लेकर,
मैं इंतजार करता हूं यही बैठकर,
उसकी मजबूरी है वो नहीं लोट सकती।
तुम तो लौटना उसकी निशानी साथ लेकर ।।
मौसम खान अलवर राजस्थान