प्रकृति | kavita- prakriti
May 26, 2024 ・0 comments ・Topic: poem Prem Thakker
प्रकृति
सुनो दिकु......प्रकृति की गोद में बसी है तुम्हारी यादों की छाँव,
हर हरे पत्ते पर लिखा हुआ है तुम्हारा नाम।
चमकते सूरज की किरणों में देखूं तुम्हारा चेहरा,
झरनों की मधुर ध्वनि में सुनूँ तुम्हारी बातें।
फूलों की महक में तेरी खुशबू सी लगती है,
हवाओं की सरगम में गूंज रही हमारी मुलाकातें।
चाँदनी रात में जब तारो की चमक सजती हैं,
उनकी रोशनी में तुम्हारी हँसी की झलक मुझे दिखती है।
बादलों की छाँव में, जब ठंडी हवा बहे,
तुम्हारे स्पर्श का एहसास दिल को छू जाता है।
बारिश की बूँदों में, जब धरती भीगती है,
तुम्हारे प्यार की नमी से मेरा मन भी भीग जाता है।
प्रकृति के हर रंग में, हर रूप में,
तुम्हारा ही अक्स मुझे दिखाई देता है।
तुम्हारी यादों के साये में, मैं जीता हूँ,
तुम लौट आओगी एक दिन,
प्रकृति का हर पल, हमेशा मुझे यही कहता है।
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*
About author
प्रेम ठक्करसूरत ,गुजरात
ऐमेज़ॉन में मैनेजर के पद पर कार्यरत
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.