Vakt se bada koi shikshak nhi by Jitendra Kabir
September 13, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
वक्त से बड़ा कोई शिक्षक नहीं
बचपन से मां-बाप, बड़े बुजुर्गों ने
सिखाए बहुत से सबक,
कुछ याद रहे, कुछ याद रख पाया नहीं
लेकिन वक्त ने जिंदगी में
सिखाए जो सबक
उन्हें चाह कर भी कभी मैं भूल पाया नहीं।
शिक्षकों ने भी अपनी तरफ से की
सिखाने-पढ़ाने की कोशिशें भरपूर,
कुछ समझ आया, कुछ समझ में आया नहीं
लेकिन वक्त ने जिंदगी में
पढ़ाया जो पाठ
उसे चाह कर भी कभी मैं भूल पाया नहीं।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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