स्वतंत्रत विचार- अनिता शर्मा झाँसी

स्वतंत्रत विचार

स्वतंत्रत विचार- अनिता शर्मा झाँसी
एक टूटता हुआ तारा!!
असमान में बिखरे तारे
कितने सुन्दर कितने प्यारे।
अपलक रोज निहारा करती
सहसा टूटा एक तारा...
अनायास ही आंख मूंदकर
आशाओं की डाल झूलकर।
ईश्वर से मनोकामना करती
कितनी अनोखी बात निराली।
एक तारा टूटता ........
कहीं कोई जन्मता तो कोई मरता।
पर.....एक तारा भर देता नव आशा।
नव-विश्वास जीवन में ।
आँखे बंदकर माँगते एक कामना
जो हो जाती पूर्ण ।
भर देती विश्वास से,
आशा से परिपूर्ण।
एक टूटता हुआ तारा ।।

---अनिता शर्मा झाँसी
----मौलिक रचना

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