तुम्हारा प्रेम मेरी दुनिया है- जितेन्द्र ' कबीर '
तुम्हारा प्रेम मेरी दुनिया है
मेरे लिए पुल सरीखा है,
जिस पर चलकर
निकल जाता हूं मैं अक्सर
खोजने प्रेम के गहनतम भावों को।
तुम्हारा प्रेम...
मेरे लिए बादल सरीखा है,
जो विचरण करते हैं
मन के आकाश में अक्सर
मुझ पर प्रेम का अमृत बरसाते हुए।
तुम्हारा प्रेम...
मेरे लिए समन्दर सरीखा है,
जिसमें पूरी तरह डूबकर
मैंने सीख लिया है
कविता में तैरने का नायाब हुनर।
तुम्हारा प्रेम...
मेरे लिए क्षितिज सरीखा है,
जहां दिखाई देती है
मिलती हुई सी अक्सर
प्रेम की पवित्रता और रूहानियत।
तुम्हारा प्रेम...
मेरी अलग दुनिया सरीखा है,
जहां अकेला होकर भी
तुम्हारे साथ होता हूं अक्सर
सपनों का इंद्रधनुष बनाते हुए।
जितेन्द्र ' कबीर '
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश 176314
संपर्क सूत्र- 7018558314
परिचय