कविता -गर्मी
गर्मी
बेवफाई की चांद ने
चांद को तो कुछ कह नहीं पाए
चांद को तो कुछ कह नहीं पाए
लेकिन मोहब्बत इतनी थी
को उसे भूला भी न पाए
चले आए हमें गुस्सा दिखाने
राहें तुम्हारी इंदु ने बदली और
और गर्मी हमें दिखा रहे हैं
सूरज बाबा आप बुजुर्ग हो गए हो
अब आप इश्क मोहब्बत में जलते रहें
ये अच्छा नहीं लगता।
मौलिक अप्रकाशित
उदय राज वर्मा उदय
छिटेपुर सैंठा गौरीगंज अमेठी उत्तर प्रदेश 227409