kavita Dhairya na khona tum. samunder singh

कविता - धैर्य न खोना तुम

kavita Dhairya  na khona tum. samunder singh
आँसू से मुँह न धोना तुम।
जीवन में धैर्य न खोना तुम।
हर दिन सपने उन्नति के,
दिल की मिट्टी में बोना तुम।
हर पल है अनमोल यहाँ ,
इसको व्यर्थ न खोना तुम।
कठिनाई आएं राहों में,
पर विचलित न होना तुम।
कुछ दुख के बादल छाए हैं ,
इन्हें देख न रोना तुम।
आशाओं की लड़ियों में ,
मायूसी न पिरोना तुम ।
असफलताओं का बोझा ,
जिंदगी भर न ढोना तुम।
जब तक न मिले मंजिल ,
"पंवार " चैन से न सोना तुम।

कवि - समुन्द्र सिंह पंवार
रोहतक , हरियाणा



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1 Comments
  • Unknown
    Unknown 6/01/2021 11:27:00 PM

    बहुत ही बढ़िया रचना जी ।

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