लूट मची है लूट
लूट मची है लूट
जितेन्द्र 'कबीर' |
शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में
जो छोटे-बड़े 'कुकुरमुत्ते'
उग आए हैं अवसर पाकर,
लगाते हैं अक्सर नारे वो
जनसेवा के
बदलाव और सुधार के
झंडे उठाकर,
सच तो यह है कि
उनमें से अधिकतर आए हैं
इस क्षेत्र में मोटा मुनाफा देखकर,
जानते हैं वे अच्छी तरह से
कि कर नहीं सकता इंसान
कोई भी समझौता
बच्चों की शिक्षा और
अपने परिवार की सेहत को लेकर,
दुनिया के सामने लाख दिखा लें
खुद को सेवा भावना से प्रेरित
लेकिन वास्तव में अपनी संस्था का
प्रचार-प्रसार कर मुनाफा कमाना
ही है उनकी प्राथमिकता में
सबसे ऊपर,
अपनी बाहरी चमक-दमक और
छद्म आधुनिकता से लोगों की
आंखें चौंधिया कर,
लूट रहे हैं वो दोनों हाथों से लोगों को
उनकी दुखती रग को दबाकर।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - 7018558314
जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314