शक्ति का झूठा दंभ

 शक्ति का झूठा दंभ

जितेन्द्र 'कबीर'
जितेन्द्र 'कबीर'

उसने हमला किया...

इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं

कि वह बहुत बड़ा शूरवीर

या बहादुर है,


बहादुरी एवं शूरवीरता

हथियारों के बल पर 

नहीं दिखाई जा सकती कभी,


उसने हमला किया...

क्योंकि वह मन ही मन

डर रहा है तुमसे,


वह अपने अस्तित्व पर

खतरा महसूस करता है

जब तुम अपनी बुलंद आवाज में

उसके गलत कार्यों का

प्रतिकार करते हो,


वह जानता है कि वह तुमसे

प्रेम, धैर्य, तर्क एवं न्याय में

जीत नहीं सकता

और इसी डर के चलते वह

हथियारों से तुम पर हमला करता है,


लेकिन वह नहीं जानता

कि एक निहत्थे इंसान से

यूं हथियार लेकर लड़ने जाना ही

दुनिया की सबसे बड़ी कायरता है,


वह डरता है कि उसकी कमजोरी

दुनिया के सामने आ गई

तो उसकी झूठी शान का शीशमहल

चकनाचूर हो जाएगा

और इसी डर के कारण वह

तुम पर हमला करने के सौ बहाने

एवं दलीलें गढ़ता है,

मगर वह नहीं जानता

कि खुद को सही साबित करने के लिए

उसका यूं छटपटाना ही

उसकी सबसे बड़ी हार है,


मृत्यु के अंतिम क्षणों में

जब उसकी स्मृतियां वापस दौड़ेंगी

उसके छुपे हुए डर की पटरियों पर

तब वह हमलावर जान जाएगा

कि शक्तिशाली एवं निडर होने का 

उसका दंभ

दुनिया का सबसे बड़ा झूठ था।


                               जितेन्द्र 'कबीर'                              

यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।

साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'

संप्रति - अध्यापक

पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश

संपर्क सूत्र - 7018558314

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