सच जिंदगी बोलती हैं. |Sach zindagi bolti hai
July 04, 2022 ・0 comments ・Topic: Dr. Alpa. H. Amin poem
सच जिंदगी बोलती हैं.....
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Sach zindagi bolti hai |
ध्यान से सुनो जिंदगी बोलती हैं
कभी हँसती कभी रोती हैं
नई नई सीख देकर पढ़ाती हैं
सच जिंदगी बोलती हैं
सिंचन संस्कार उत्तम देती हैं
सच्चाई का तजुर्बा लिए जिंदगी खिलती हैं
सौम्यता की सौगात देकर जीना सिखाती है
सच जिंदगी बोलती हैं
कई सुरों का संगम बांटती हैं
कभी धून, कभी लय में नचाती है
संगीत के आलाप स्वरूप सजती है
उमंग की रंगत भर्ती है
सच जिंदगी बोलती है
दर्द से बिलखती भी है
लड़खड़ाकर चलती भी है
हौसले की पंख धायल है
पर उचाई को छूना कैसे है
ऐसी उम्दा उम्मीद कायम करती है
सच जिंदगी बोलती है
जीवन तो गहरा सागर है
विशाल अंबर जैसा तन्हा है
बंधन की गरिमा निभानी है
रिश्तों में 'जान' भरनी हैं
अपनों के खातिर संघर्ष करना हैं
सारी जिम्मेदारी बखूबी सिखाती हैं
सच जिंदगी बोलती हैं
मुझमें फैली हैं तुझमें फैली है
अरे संसार की हर रचना उससे खिली हैं
वो कायनात से जुड़ी है
रब की बनाई रब ने संवारी हैं
करती जादूगरी हैं
सचमुच ऐ जिंदगी बोलती हैं
डॉ.अल्पा. एच.अमीन
अहमदाबाद,
गुजरात,.
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