kavita sarkari aakado me by jitendra kabir

सरकारी आंकड़ों में...

kavita sarkari aakado me by jitendra kabir




सरकारी आंकड़ों में

दर्ज होती हैं सिर्फ मौतें,


दर्ज नहीं होती

लेकिन उनमें

मरने वालों की तकलीफें,

जिंदा बने रहने की

जद्दोजहद में

मौत से उनका संघर्ष,

उनके परिजनों का

करुण रुदन,

एक पूरी उम्र के लिए

अपने साथी का अभाव,

हर मुसीबत को पहले अपने

सिर लेने वाले

मां-बाप का अभाव,

जिंदगी के हर एक पल में

मां-बाप के हृदय को सालता

औलाद का अभाव।


दर्ज नहीं होती उनमें

अस्पतालों की कमी,

डॉक्टरों, बिस्तरों व

जीवनरक्षक उपकरणों की कमी,

दवाइयों की कमी,

व्यवस्था की लापरवाही,

स्वास्थय सेवाओं में

होता भ्रष्टाचार और

दिन-प्रतिदिन आम आदमी की

पहुंच से दूर होता इलाज।


दर्ज जिस दिन होने लगेगा

सरकारी आंकड़ों में

यह सब कुछ भी,

जी उठे उम्मीद शायद

इन आंकड़ों में सुधार की।


जितेन्द्र 'कबीर'

साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'

संप्रति - अध्यापकपता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश


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