kavita- aaj phir giraft me aaya darpan by anita sharma

आज फिर गिरफ्त में आया दर्पण,

kavita- aaj phir giraft me aaya darpan by anita sharma


आज फिर गिरफ्त में आया दर्पण,

आज फिर चेहरे का नकाब डहा।

दिल में दर्द की टीस उठी,

पर चेहरे पर मुस्कान बिछी।


किसी की नजरों से बच न सका,

नजरों ने नब्ज़ को पकड़ लिया।

आज फिर चेहरे की शिनाक्त हुई,

आंखो ने दर्द को बयां जो किया।


अरमाँ जो दिल में दबाये रखे ,

वो दिल ने बयां किये ।

बहुत दबाए रंजोगम दिल में,

आँखो ने छलका ही दिये।


लो अब दिल का गुब्बार उठा,

मन झुन्झलाया तन मुरझाया।

चेहरे ने दर्पण को दिखलाया,

रंजोगम दिल में कितने छुपे।


चेहरे को रिश्वत दे रखी थी,

न हक़ीक़त दिल की झलकेगी।

वो भी न छुपा सका दर्द ,

राज़ भी आम हो गया जग में।

      अनिता शर्मा झाँसी

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