abhilasha poem by abhilekha ambasth gazipur
अभिलाषा

अधरों पे मुस्कान लिए,
शहरों में अब गांव मिले,
मधुर वाणी की सरगम में,
शहरों में अब गांव पले,
चहुं ओर हो हरितिमा,
हर ओर हो सुहावना,
करें हम कल्पना, कल हो पूर्ण सपना ,
अधरों पे मुस्कान लिए,
शहरों में अब गांव पले,
हाथ लकुटिया थाम कर,
शहरों में अब गांव चले ,
राम लखन की जोड़ी ,
अब सीता को संभाल रखें,
रावण ना कोई पैदा हो,
बस हनुमान सा दास मिले,
हैं अभिलाषा यही हमारी,
कविता को सम्मान मिले,
अभिलेखा की लेखनी,
नित नये आयाम लिखे,
जन जन तक पहुंचाऊं , संदेश,
लौट चलो अब अपने देश,
नहीं है ख्वाब कुछ पाने का,
बस यही है मेरा संदेश ।
अभिलेखा अम्बष्ट ,
स्वरचित, रचना
गाजीपुर