Kavita kyu aapas me ladna by kamal siwani

 क्यूँ आपस में लड़ना ?

Kavita kyu aapas me ladna by kamal siwani


जाति -धर्म के नाम पर नित दिन, क्योंकर रार मचाते ? हर मानव एक ही जैसे हैं , इसे समझ ना पाते ? झगड़ा - झंझट , मारपीट , इससे क्या हासिल होता ? उसकी आग में झुलस के अगणित , घर-परिवार है रोता।। हँसी - खुशी से हर कोई अपना , जीवन जीना जाने । ठेस ना पहुँचे किसी उर को , भाव ये मन में ठाने ।। देना अगर जो है औरों को , केवल प्यार जा बाँटें । हरगिज नहीं किसी को हम , बोलें दो कड़वी बातें ।। इससे फैलेगा चारों ओर , प्रेम - भाव का रिश्ता । द्वेष - भाव की गलियों में , कोई ना मिले पिसता । । हो मतभेद विचारों में पर , मन में भेद ना होवे । जिससे कि संबंधहीन हो , जाकर कोई रोवे ।। कितना सुंदर इस प्रकृति ने, अगणित बाग लगाया । भाँति -भाँति के सुमन सजाकर ,इसको विविध बनाया ।। इसकी इस मनहर छवि को देख , कर हम हर्षित सोवें । बिखर न जाएँ धरा से ये, इन्हें हम सदा सँजोवें ।। हँसते - गाते सभी मिलें , ये कितना सुंदर होगा ! स्वर्गिक सुख चहुँओर फैले , बने ये सुसंयोगा ।। -- कमल सीवानी , रामगढ़ ,सीवान ,बिहार
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