Lekh man ki hariyali by sudhir Srivastava
लेख
मन की हरियाली, लाए खुशहाली
बहुत खूबसूरत विचार है ।हमारे का
मन की हरियाली अर्थात प्रसन्नता, संतोष और स्वस्थ, सार्थक पवित्र विचारधारा, अच्छी सोच, स्वहित के बजाय सर्वहितकारी भाव हमारी प्रसन्नता की अहम कड़ी और सर्वाधिक जरूरत है।बस अपनी वैचारिकी को बड़ा और मन के पटों को पूरी तरह खोलने की आवश्यकता भर है।मन की हरियाली का मतलब स्व प्रसन्नता से है,सुविचारों और मनोभावों से भी जुड़ा होता है और ये सभी खुशहाली ही लाती है ,संतोष का भाव जागृति करती हैं।मतलब सूकुन और स्वाभाविक प्रसन्नता का खूबसूरत अहसास भी महसूस कराती है।
मंतव्य मात्र इतना भर है कि हम सभी को हर स्थिति/परिस्थिति में खुश रहना है और खुश रहने के लिए हर संभव सकारात्मक रहने की जरुरत है।जितना है या जो भी हो ,जितना भी मिला है जैसा भी है संतोष रखते हुए ईश्वर कृपा मान उसी में खुश रहने का सकारात्मक प्रयास करते रहना चाहिए।क्योंकि ऐसा भी निश्चित ही होता है कि बहुतेरे ऐसे भी है इस संसार में कि उन्हें उतना तो क्या उसका एक बहुत छोटा हिस्सा मिला है या मिला होगा या शायद वो भी न मिला हो।ऐसे में ईश्वर का धन्यवाद करते हुए खुश रहना मूलमंत्र बनाने की चेष्टा भर कीजिए, विश्वास कीजिए ,खुशहाली आपके दरवाजे पर हर समय दस्तक देती मिलेगी। जीवन की प्रसन्नता का यही मूलमन्त्र हम सबकी खुशहाली का मंत्र होना चाहिए और यह मूलमंत्र सिर्फ आका हमारा या एक व्यक्ति/ परिवार तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि संसार के एक एक व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र ही नहीं सम्पूर्ण संसार में जाना ही चाहिए, तभी हम और हमारा,परिवार,. समाज ,राष्ट्र और संसार के आज, कल और भविष्य का सुंदर, सुखद और खुशहाली भरे जीवन की सुंदरता मिश्रित मार्ग प्रशस्त होकर जीवन में अप्रत्यशित रुप से सुखद जीवन का आधार बन जायेगा।
और इसके लिए किसी एक को ही नहीं सबको प्रयास करते रहना होगा।तभी मन की हरियाली और खुशहाली का वातावरण चारों ओर दिखेगा और तब समूचे संसार में अधिकतम खुशहाली दिखेगी।
👉सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित
29.07.2021