Sawan aur shiv kavita by Dr Indu kumari
सावन और शिव
पहला सावन और सोमवार
बरसती है शिव का प्यार
रिमझिम- रिमझिम हो फुहार
भक्ति की बहती बयार
बोल बम की नारों से
होती धरा गुंजायमान
स्फूर्ति आ जाती मन में
जोश भर जाता तन में
सज जाती है दुकानें
भक्तों की लगती कतारें
शिव धुन की बजती नागारें
भक्तिमय हो जाती नज़ारें
सावन की छटा निराली
हर तरफ है हरियाली
हरिहर चुनर पहन गौरी
है अकड़ू शिव रिझाली
डॉ. इन्दु कुमारी
हिन्दी विभाग
मधेपुरा बिहार