Aankhe by nandini laheja

आँखें

Aankhe by nandini laheja



मन के भावों को बिना शब्द,
किसी तक पहुंचाए।
कभी प्रश्न कहे,कभी दे स्वयं उत्तर,
यही तो नयनो की भाषा कहलाये।
कोई ख़ुशी जब मिलती है मन को,
रोशनी सी चमकती हैं अखियाँ।
गम से गर जब तड़पे मन तो,
अविरल नीर बहाती हैं अखियाँ।
यादों में किसी की खोकर,
थक सी जाती है अखियाँ।
मनचाहा जब मिल जाये तो,
खिल सी जाती हैं अखियाँ।
बुरा किसी का करे गर कोई,
डर सी जाती हैं अखियाँ।
प्रेम से अपने प्रियतम आगे,
शर्म से झुक जाती अखियाँ।
सच ही तो है मानव के हर भाव की,
साक्षी होती हैं अखियाँ।

नंदिनी लहेजा
रायपुर (छत्तीसगढ़ )
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
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