Kahun kaise by Indu kumari

August 22, 2021 ・0 comments

 कहूं  कैसे 

Kahun kaise by Indu kumari



मिलूं तो होंठ सट जाते हैं ऐसे

रात के अधखिले फूल हो जैसे

चाहकर भी वे हिल नहीं पाते

फिर तुमसे मैं कुछ कहूं  कैसे

पल-पल में झपकती है पलकें

इशारे में भी कहूं  तो    कैसे

कुछ सुनाने से पहले ही चले जाते

आखिर बात दिल की बताऊं कैसे

क्या होता है मेरे   दिल    में

दिल का हाल अपना सुनाऊं कैसे

तुम मेरे प्यार को समझते नादान

तुमसे सच्चा प्यार जताऊं कैसे

जाने तुम कैसे   जी लेते  हो

मैं जिऊं तो आखिर   कैसे

दिल तो तुम्हारा भला लगता है

फिर तुम्हें बेवफा कहूं  कैसे।

     स्व रचित

डॉ. इन्दु कुमारी हिन्दी विभाग मधेपुरा बिहार

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