Koi ek bhi mil jaye by Jitendra Kabeer
कोई एक भी मिल जाए
ऐसे समय में
जबकि चाहत आम है बहुत लोगों में
कि सबके दिलों पर वो राज करें,
लेकिन विडंबना यह है कि
दिलो-जान से चाहने वाला
कोई एक भी किसी को मिल जाए
तो गनीमत है।
ऐसे समय में
जबकि चाहत आम है बहुत लोगों में
कि पूरा जीवन वो मजे करें,
लेकिन विडंबना यह है कि
सबकुछ भुलाकर बेफिक्री में
कोई एक दिन भी पूरा वो जी पाएं
तो गनीमत है।
ऐसे समय में
जबकि चाहत आम है बहुत लोगों में
कि दुनिया में उन्हें सम्मान मिले,
लेकिन विडंबना यह है कि
हृदय से उन्हें आदर देने वाला
कोई एक शख्स भी साथ निभा जाए
तो गनीमत है।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314