Sirf vhi aisa Kar payega by Jitender Kabir
August 26, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
सिर्फ वही ऐसा कर पाएगा
इस समय जबकि बढ़ रही हैं
इंसान - इंसान के बीच में नफरतें
बेतहाशा हर ओर,
प्रेम के मार्ग पर चलने वालों को
कायर व डरपोक
करार देने का चला है दौर,
धारा के बहाव के विपरीत प्रेम पर
आस्था अपनी अटूट जो इंसान रख पाएगा
वही इन नफरतों के बीच में
प्रेम के फूल खिलाएगा।
इस समय जबकि बढ़ रही हैं
इंसान में सिर्फ अपना हित साधने की
लालसा बेतहाशा हर ओर,
जनहित में हमेशा लगे रहने वालों को
पागल व बेवकूफ
करार देने का चला है दौर,
धारा के बहाव के विपरीत इंसानियत पर
आस्था अपनी अटूट जो इंसान रख पाएगा
वही हैवानियत के बीच में
इंसानियत को जिंदा रख पाएगा।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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