Hartalika teej by Sudhir Srivastava
September 14, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
*हरतालिका तीज*
भाद्रमास तृतीया तिथि को
सुहागिनें ही नहीं कुँवारी कन्याएँ भी
सोलहो श्रृंगार कर
भगवान भोलेनाथ और माँ पार्वती का
पूजन विधिविधान से करतीं,
अक्षय सुहाग की कामना लिए
निर्जल उपवास रखतीं,
परिवार में खुशहाली की कामना करतीं।
परंतु ये तो परंपरा है,
वास्तव में इस परंपरा में छिपे
भावों को समझना जरूरी है।
शक्ल सूरत से अधिक
सीरत जरूरी है,
रुप रंग चालढाल से अधिक
अंतर्मन के भावों को
समझना अधिक जरूरी है।
सबको साथ लेकर
सामंजस्य बना कर चलना जरूरी है,
व्यक्ति हो या परिवार अथवा समाज
सबसे तालमेल रखना जरूरी है,
औरों को झुकाने के बजाय
खुद झुकना भी जरूरी है।
सिर्फ़ परिकल्पनाओं, व्रतों से
तीज त्योहार, परंम्पराओं से
कुछ नहीं होने वाला,
हमें अपनी चाहतों की खातिर
उसके अनुरूप खुद आगे बढ़कर
सबके मनोभावों को समझते हुए
बिना किसी को कष्ट दिए
आगे आना भी जरूरी है।
तीज, त्योहार, व्रत ,परंपराओं की
सार्थकता तभी सिद्ध होगी,
जब उनका संदेश हमारे आपके अंदर
स्थान पा रही होंगी,
हम सबके व्यवहार में भी
वास्तव में दिख रही होंगी।
● सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित
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