Pareshani by Mausam Khan
परेशानी
है , परेशान आज जहां सुख तलाश करता चहूं दिस ओर।
कुछ लिखने कि कोशिश करता हूं तुमको करना है इन पे गोर।।
शुरू करते है किसान से, जिसकी बहुत परेशानी है।
अतिवृष्टि, अनावृष्टि, खाद, बीज, दूध और उसके बेटा बेटी सयानी है।।
बात करते है नेता लोगो की,उनको सत्ता की परेशानी है,
झूठे सच्चे वादे कर जो सत्ता मिली वो आज मुश्किल से बचानी है।।
सरकारी नौकरी केलिए मारा मारी करते उसको भी बहुत परेशानी है।।
टाईम से ड्यूटी जाओ, सी एल का डर,और भ्रष्टाचार में मुश्किल से नौकरी करनी है।।
युवाओं की बात करते है, उन्हें रोजगार की परेशानी है।
लीक होते पेपर आज़ उनको पता नही,कैसे नौकरी पानी है।।
नित नई बीमारी आवे , स्वास्थ की परेशानी है।
बच्चे जवान बूढ़े सब बीमार है ,आज घर घर की परेशानी है।।
बाजारों में जा के देखो वहां भी परेशानी है।
नगद, उधार, असली ,नकली, सब की अलग अलग कहानी है।।
कोर्ट कचहरी अस्पतालों में वहां भी परेशानी है।
उचित न्याय, ना इलाज मिले, कैसी दुनियादारी है।।
कोसो दूर मन्नत करने जाते , वहां भी परेशानी है,।
दिए चढ़ावा जो हमसे ज्यादा पहले उसकी बारी है।।
आखिर कहा गया आज सुख , सुख का अता पता नहीं।।
मौसम कहे, मानवता कर तू मानवता से बढ़ कर सुख नहीं।।।