Sathi hath badhana by Anita Sharma
*साथी हाथ बढ़ाना*
साथी हाथ बढ़ाना,
एक अकेला थका हारा हो,
साथ साथ बढ़ना उसके।
हाथों को थामे रखना अपनो का साथ।
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जीवन के झंझावातो से सीखें ,
निष्काम भाव का पाठ ,
गिरतो को संबल देना थामे रखना हाथ।
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कर्तव्य स्मरण रहे सदा ही,
झुक कर अग्रसर होना जीवन में,
अंहम्-अंहकार से दूर-दूर ही सहजता अपनाना।
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कहीं कोई मजबूर मिले तो,
सबंल देकर साथी हाथ बढ़ाना,
सार्थक जीवन को कर उनमें खुशियों से भर लेना।
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साथी हाथ बढ़ाना ।।।
-----अनिता शर्मा झाँसी
-----मौलिक रचना