Sikhane ki koshish by Jitendra Kabir

 सिखाने की कोशिश करें

Sikhane ki koshish by Jitendra Kabir


सिखाने की कोशिश करें

अपने बच्चों को खाना बनाना भी

पढ़ाई के साथ-साथ,

वरना  लाखों के पैकेज पाने वालों को भी

हमनें 'मैगी' खा-खाकर रात-दिन

गुजारा करते देखा है।


सिखाने की कोशिश करें

अपने बच्चों को साफ-सफाई करना भी

पढ़ाई के साथ-साथ,

वरना 'सैलिब्रिटी' जैसी लाइफ जीने वालों को भी

हमनें अपने कमरों में गंदी अस्त-व्यस्त जिंदगी

जीते हुए देखा है।


सिखाने की कोशिश करें

अपने बच्चों को बाहरी दुनिया के बारे में भी

पढ़ाई के साथ-साथ,

वरना अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वालों को भी

हमनें दुनिया की भूल-भुलैया में

रास्ता भूलते देखा है।


सिखाने की कोशिश करें

अपने बच्चों को बुजुर्गों से अच्छी तरह पेश आना भी

पढ़ाई के साथ-साथ,

वरना बुढ़ापे में तो बड़ा नाम कमाने वालों को भी

हमनें वृद्धाश्रम में दूसरों की दया पर

पलते हुए देखा है।


                                                  जितेन्द्र 'कबीर'

                                                  

यह कविता सर्वथा मौलिक, अप्रकाशित एवं स्वरचित है।

साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'

संप्रति - अध्यापक

जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश

संपर्क सूत्र - 7018558314

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