Humsafar by Akanksha Tripathi
हमसफ़र
👫💞 ये नायाब रिश्ता वास्तविक रूप से जबसे बनता है जिंदगी के अंतिम पड़ाव तक निभाया जाने वाला रिश्ता होता है जिसमें दो अजनबी मिलकर एक लंबा सफर तय करते हुए यादों का अनमोल खजाना बना पाते हैं।
अब मायने बदलते जा रहे हैं रिश्तों के,
किसी के लिए पैसा ही सबकुछ है,
किसी के लिए अपने जीवनसाथी का समय,
किसी के लिए अपना पति बस,
किसी के लिए पति पत्नी का परिवार,
इन सब बिंदुओं के आधार पर ही एक सही जीवन की संतुष्टि मिल पाती है।
लेकिन कुछ ऐसी चीजे भी हैं जो जेहन में नहीं आती की हमसफर भी कभी कभी छोटी छोटी समयावधि में बन जाते है।
जैसे हम प्रायः सफर करते हैं,चाहे वो किसी ट्रेन का हो या बस का सफर हो,कई बार लंबे सफर में कुछ ऐसे अजनबी इंसान भी मिलते है जिनके विचारो के साथ हमारा तालमेल बैठने से उनके आपसी वार्तालाप के साथ साथ हमारा सफर आसान हो जाता है और यादगार भी क्योंकि आपका एक छोटा ही सही पर एक दोस्ती का रिश्ता ही बना लेते है जिससे सफर में मिला इंसान भी एक दिन का हमसफर कहलाता है।
जब एक नया रिश्ता बनता है पति पत्नी का तबसे ही जीवनसाथी को अपना हमसफर मान लेते हैं लेकिन ये मन की उपज वास्तविकता में तब परिलक्षित होती है जब असल जिंदगी में आने वाली हर तरह की पड़ाव को साथ साथ मिलकर निभाया जाए.....क्योंकि जिंदगी में आने वाली मुसीबते या खुशियां किसी एक के हक में न होकर दोनों के हिस्से में जब जुड़ जाती हैं तभी सफर, हमसफर के साथ करने में आनंदित हो जाता है।
हमसफर की उपमा साथ निभाने वाले हर उस किरदार में छुपी होती है जो न सिर्फ जीवन में पति पत्नी ही के लिए लागू होती है,इसके अलावा भीऐसे बहुत से रिश्ते हैं जिनके लिए किसी रिश्ते का नाम होना जरूरी नहीं होता कुछ रिश्ते इंसानियत से भी निभाए जाते है और इस सफर के लिए जो उत्तरदायी होता है वो भी सच्चा हमसफर माना जाता है।
कुछ बच्चों के मां बाप दुनिया में नहीं हैं उनके लिए अनाथालय में रहने वाले साथी ही उनके हमसफर है।या कुछ बच्चे ऐसे जो शारीरिक रूप या मानसिक रूप से अक्षम होते हैं तो उनकी उस अवस्था में क्या एक हमसफर का साथ उन्हें माता पिता के अलावा कोई बन सकता है इस अवस्था में जीवन पर्यंत तो नही लेकिन सामर्थ्य अनुसार जब तक वे सक्षम होते है बच्चों के हमसफर कहलाते हैं।
जीवन की सच्चाई को स्वीकार करके जब कोई युगल दंपति एक नए रिश्ते से जुड़ते हैं तो धीरे धीरे अपनेपन की खुशबू आने लगती है,वो रिश्ता कई पड़ाव को पार करते करते अपनी जिंदगी का अंतिम पड़ाव स्पर्श करता है लेकिन इसी सफर में आने वाले पड़ाव में अगर जीवन साथी का पूर्ण सहयोग,आपसी तालमेल,अपने जीवन साथी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने की प्रवृत्ति,सुख दुख में साथ निभाने का हौसला आ जाता है तो जीवन का सफर अपने हमसफर के साथ बहुत आराम से निकल जाता है और इसी के विपरीत यदि जीवन साथी में अपने हमसफर को समझने के अलावा उसके प्रति सम्मान न हो,उसके सपनो की पहचान न हो,जीवन के हर पड़ाव को साथ निभाने की प्रवृत्ति न हो तो जीवन एक कड़वी यादों की किताब में कब तब्दील हो जाता है पता नहीं चलता।
*माता सीता ने अपने सारे सुख सुविधाओं का त्याग कर दिया अपने जीवन साथी के साथ अपने प्रारब्ध को स्वीकार किया और चल दीं उनके जीवन के सफर में हमसफ़र बनने.....और बखूबी अपने रिश्ते का मान बढ़ाया......!
,❤️रिश्ते में सिर्फ दायित्व निभाने में और प्यार से,खूबसूरती से,जिंदगी के दायित्व निभाने में फर्क होता है,💕
*आप पैसे से एक बीमार पत्नी के लिए सुविधाएं जुटा सकते हैं लेकिन आपका समय,जिसमे आपके हाथों का एक हल्का सा स्पर्श उसकी तबियत में मरहम का काम करता है,इसलिए किसी पत्नी के लिए पति का समय ज्यादा जरूरी है*
*आप पैसे से एक कुक रख सकते हैं लेकिन आपके हाथों से बना हुआ खाना यदि आपके साथी को भाता है तो ये प्रेम का ही रूप है*
*अगर दंपति में एक दूसरे की कमियों को सुधारने की क्षमता है,एक दूसरे की अच्छाइयों को सबके सामने बताने की कला है तो भी प्रेम का स्वरूप छलकता है*
*जन्मदिन, सालगिरह के लिए अगर आप अपने जीवन साथी के साथ कम सुविधाओ में भी खुश हो जाते हैं इसका मतलब आपसी प्रेम की भूमिका ज्यादा है ना की भोग विलासी सुविधाओ की,यही खुशी जीवन के हर पन्ने में खुशी का पन्ना जोड़ती है जो हमसफर के लिए नायाब होता है*
जिंदगी की भाग दौड़ से निकलकर अपने जीवनसाथी को उनका स्वयं का अस्तित्व बताना की वो कितने खास हैं और जीवन में उनके बिना क्या उदासीनता है ये भी प्यार जताने का तरीका है जिससे आपसी रिश्तों में प्रगाढ़ प्रेम पनपता है।
💞ऐसे बहुत से छोटे छोटे पहलुओं में दोनो ने सूझबूझ न भी हो तो एक पहिया सूझबूझ का और दूसरा पहिया प्यार और चंचलता का लगा लें जिंदगी के रेलगाड़ी में तो अपने गंतव्य तक पहुंचना आसान हो जायेगा..।💞
👫 इसलिए हमसफर सिर्फ पैसे से अपने जीवन के परम आनंद का सुख नही दे सकता है उसके लिए दोनो अपने अपने उत्तरदायित्व को समझकर अपनी अपनी भूमिकाएं बखूबी निभाते है तो सफर मजेदार,रोमांचक और खूबसूरत भी हो जाता है.....।।।